दिल्ली में प्रदूषण कैसे होगा कम? केजरीवाल सरकार ने नहीं खरीदीं नई डीटीसी बसें
खास बातें
- शीला दीक्षित सरकार के बाद से नहीं बढ़ीं डीटीसी बसें
- दिल्ली सरकार बोली- दिसंबर तक आएंगी एक हजार नई बसें
दिल्ली सरकार राजधानी में प्रदूषण स्तर में 25 फीसदी की कमी लाने के लिए स्वयं को शाबाशी देती है। लोगों को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने के लिए उसने ऑड-ईवन योजना भी लागू की। लेकिन एक आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली सरकार ने अपने अब तक के लगभग पांच साल के कार्यकाल में कोई डीटीसी बस नहीं खरीदी है।
शीला दीक्षित के कार्यकाल में अंतिम बार वर्ष 2012 में डीटीसी बेड़े में नई बसें जोड़ी गई थीं, उसके बाद से डीटीसी को कोई नई बस नहीं मिली है। एक मात्र बस इलेक्ट्रिक चालित को लाया गया था जो कि एक ट्रायल प्रोजेक्ट के लिए चलाई गई थी। जानकारी के मुताबिक ऑड-इवेन योजना के दौरान भी दिल्ली की सड़कों पर डीटीसी की कम बसें उतारी गईं थीं जबकि जनता की सुविधा के हिसाब से इस समय ज्यादा बसें उतारी जानी चाहिए थीं।
शीला दीक्षित के कार्यकाल में अंतिम बार वर्ष 2012 में डीटीसी बेड़े में नई बसें जोड़ी गई थीं, उसके बाद से डीटीसी को कोई नई बस नहीं मिली है। एक मात्र बस इलेक्ट्रिक चालित को लाया गया था जो कि एक ट्रायल प्रोजेक्ट के लिए चलाई गई थी। जानकारी के मुताबिक ऑड-इवेन योजना के दौरान भी दिल्ली की सड़कों पर डीटीसी की कम बसें उतारी गईं थीं जबकि जनता की सुविधा के हिसाब से इस समय ज्यादा बसें उतारी जानी चाहिए थीं।
कब कितनी बसें
आरटीआई के मुताबिक, 15 फरवरी 2015 (अरविंद केजरीवाल के सत्ता संभालने के दिन) को डीटीसी के पास 4879 बसें थीं। इसके लगभग डेढ़ महीने बाद यानी 31 मार्च 2015 को डीटीसी के पास 4705 बसें थीं। इसके बाद डीटीसी बसों की संख्या लगातार कम होती गई। वर्ष 2016 में यह संख्या 4344 हो गई। वर्ष 2017 में डीटीसी के पास 4020 और 2018 में 3842 बसें थीं।
27 जून 2019 को डीटीसी के पास 3796 बसें और 30 सितंबर 2019 को 3781 बसें थीं। ऑड-ईवन योजना के दौरान लोगों को व्यक्तिगत वाहनों के इस्तेमाल करने पर आंशिक रोक थी। इस दौरान सड़कों पर ज्यादा सार्वजनिक वाहन होने चाहिए थे। लेकिन ऑड-ईवन की योजना के दौरान 12 नवंबर 2019 को डीटीसी के पास केवल 3762 बसें उपलब्ध थीं।
हालांकि, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि इसी साल दिसंबर के महीने तक डीटीसी के बेड़े में एक हजार नई बसें शामिल कर ली जाएंगीं। इसके लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं। इसके पहले मुख्यमंत्री ने जिन बसों को हरी झंडी दिखाई थी वे क्लस्टर बसें थीं जो डीटीसी के अंतर्गत नहीं आती हैं।
27 जून 2019 को डीटीसी के पास 3796 बसें और 30 सितंबर 2019 को 3781 बसें थीं। ऑड-ईवन योजना के दौरान लोगों को व्यक्तिगत वाहनों के इस्तेमाल करने पर आंशिक रोक थी। इस दौरान सड़कों पर ज्यादा सार्वजनिक वाहन होने चाहिए थे। लेकिन ऑड-ईवन की योजना के दौरान 12 नवंबर 2019 को डीटीसी के पास केवल 3762 बसें उपलब्ध थीं।
हालांकि, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि इसी साल दिसंबर के महीने तक डीटीसी के बेड़े में एक हजार नई बसें शामिल कर ली जाएंगीं। इसके लिए जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं। इसके पहले मुख्यमंत्री ने जिन बसों को हरी झंडी दिखाई थी वे क्लस्टर बसें थीं जो डीटीसी के अंतर्गत नहीं आती हैं।
किससे कितना प्रदूषण
कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक वाहनों के धूएं से पैदा होने वाला प्रदूषण वायु की गुणवत्ता खराब करने में सबसे अहम रोल निभाता है। कुल वायु प्रदूषण में वाहनों के धूएं का हिस्सा 39 फीसदी तक योगदान हो सकता है। इसके अलावा सड़कों पर धूल के जरिए 18 फीसदी, सड़क-भवन निर्माण सामग्री के उड़ने से लगभग 9 फीसदी, कूड़ा जलाने या कृषि कार्य के दौरान अलग-अलग कारणों से आग जलाने से पांच फीसदी से ज्यादा (अधिक जलाने के समय के हिसाब से अलग-अलग मात्रा में) प्रदूषण हो सकता है। इसके अलावा बिजली पैदा करने वाले प्लांट्स लगभग 11 फीसदी का प्रदूषण पैदा करते हैं।
डीटीसी को किया बर्बाद : कांग्रेस
शीला दीक्षित सरकार में परिवहन मंत्रालय संभाल चुके अरविंदर सिंह लवली ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया था कि दिल्ली सरकार राजधानी की परिवहन व्यवस्था सुधारने में बिल्कुल नाकाम रही है। कोई नई बस नहीं खरीदी गई है। क्लस्टर सेवा के अंतर्गत जो बसें खरीदी भी गई हैं, उनके लिए स्वयं उनके कार्यकाल के दौरान निर्णय ले लिया गया था। इस दौरान डीटीसी बसों का इस्तेमाल करने वालों की संख्या में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है।
प्रदूषण की जिम्मेदारी दूसरे पर न थोपें : भाजपा
भाजपा नेता हरीश खुराना ने कहा कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली के प्रदूषण के लिए दूसरों को दोष देते हैं जबकि सच्चाई यह है कि उन्होंने दिल्ली का प्रदूषण कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। लोगों के इस्तेमाल का सबसे सस्ता साधन डीटीसी बसों को उन्होंने खत्म करने का काम किया है।
दिल्ली सरकार या आम आदमी पार्टी की तरफ से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
दिल्ली सरकार या आम आदमी पार्टी की तरफ से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।